Madhu Arora

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अनोखी किस्मत

भाग 8 
अनोखी किस्मत 
अभी तक आपने पढ़ा राधिका रघुनंदन जी के घर चली जाती है अब आगे अगली सुबह राधिका सोच रही है नया घर है। पता नहीं कौन सा काम किस समय होता है। करूं तो क्या करूं?


 दीनू काका जानवरों को बाहर बांधकर । नहा-धोकर मंदिर चले गए।
 
 उधर रघुनंदन जी ने सुबह दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर
 नाश्ते में हलवा बना दिया।
 
इतने में दीनू काका मंदिर से लौट आए दीनू काका रधुनंदन ने पूछा ।

"आज मंदिर में बहुत देर लगा दी?"

 तो दीनू काका कहने लगे हां मालिक आज पंडित जी चौपाइयां सुनाने लगे तो मन किया कि पूरा सुनकर ही जाऊं
 
 इसलिए कुछ देर हो गई । और मालिक ने हलवा बना दिया आज तो नाश्ते का मजा ही आ जाएगा।और यह दो कैथ है।
 आते हुए रामू काका ने दे दी।

आवाज़ सुनकर राधिका बाहर आ गई। रसोई में जाकर रघुनंदन से बोली।
 
  "आप मुझे बता देते"।
  
 
 चलिए "आप स्नान कर लीजिए नाश्ता  तैयार है।"
 
"मैंने चने की दाल भिगो रखी, नन्दू को पराठें अच्छे लगते है तो वह बनाऊंगी"।

इतने में रजिया आ जाती है आप रहने दीजिए।"दाल में पीस देती हूँ।और साथ मै कैथ की चटनी "
आज तो नाश्ते में आनन्द आ जाएगा।
   
   
इतना कह कर के 8-10 लहसुन की कलियां खिली 3,4 लाल मिर्च साबुत धनिया और काले नमक के साथ अच्छी सी चटनी बना दी। ,

   सब  गरमा गर्म  परांठो का आनंद उठा रहे थे।
   
   सबको  खिलाने के  बाद राधिका ने अपने लिए थाली परोसी।
   
   इतने में खाना बनाने वाली महाराजिन वीरमती काकी आ गई।
   
   और राधिका को देखकर  कहने लगी " तू कौन है  और तेरी इतनी हिम्मत कैसे हुई मेरी गैर हाजरी में मेरा काम छीनने की तो मीठी मीठी बातें करके इस घर में घुस गई तूने क्या समझा सीधे-साधे मालिक को बेवकूफ बना लेगी"।

  " तू मुझे जानती नहीं है तेरा जीना मुश्किल कर दूंगी  मेरा काम छीनेगी   मेरे पेट पर लात मारेगी।
    करम जली जहां से आई है वहीं लौट जा नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा"।
     
राधिका ने इतनासुना उसकी आंखों से आंसू बहने लगे।

नन्दू ने इतना सुना और गुस्से में बोल पड़ा

" दादी यह मेरी मां हैं और तुम इनसे ऐसे बात नहीं कर सकती तुम तो मुझे दूध में पानी मिलाकर देती थी और सारा दूध खुद पी जाती थी  मेरी दाल में घी नहीं डालती थी।"

दीनूकाका और रजिया बोले कि "तुम्हारी उम्र का लिहाज कर रहे हैं नहीं तो यह जो तुम्हारी काली जुबान है ना और काला दिल है तुम्हारे विनाश का यही कारण है"

      तभी वीर मति गुस्से से बोली "मैं तेरे जैसी नहीं हूं पति मर गया तो देवर से विवाह रचा लिया तुझे तो कोई है ही नहीं  कहने सुनने वाला"
   
   काकी जो जैसे खुश रहता है उसे रहने दो।
      
 क्यों परेशान रहती हो।

 कैसी बातें कर रहे हो । मेरे पेट पर लात मारे कोई मेरी नौकरी छीने  और मैं कुछ ना कहूं वीरमति गुस्से से चीख पड़ी ।
 तभी दीनू काका फिर बोले" इस बिटिया ने ना तो कोई तेरा काम छीना है। यह इस बच्चे को बेहोशी की हालत में मिली थी यह मासूम इसे अपनी मांँ समझ बैठा है।"
 
  तो वह कहने लगी" किसी भी अनजान को ठाकुर साहब अपने घर में बीवी बनाकर ले आए और गांव वालों को पता ही नहीं है और वह राधिका पर इल्जाम लगाने लगी,"
  
  रघुनंदन बोले अब तक तो मैं तुम्हें बर्दाश्त कर रहा था। और आज के बाद अपनी मनहूस शक्ल मत दिखाना तुम्हारा जितना भी पैसा बनता है तुम्हारे घर पहुंचा दिया जाएगा।"
  
    वीरमति काकी बोली "हा हा  धौंस किसको दिखा रहे हो प्रधान जी सारे गांव को तुम्हारी करतूतें बताऊंगी पता नहीं किस औरत को तुमने अपने घर में रखा है।"
    
    तभी  नन्दू बोल पड़ा वह मेरी मां है मेरी मां के बारे में कुछ मत कहो दादी!
    
     तो वह कहने लगी बड़ा बन रहा है माँ वाला ना जाने किसको उठा कर लिया है।
     
     अभी गांव वालों को बताती हूं ?और इतना कहकर वीरमति काकी वहां से चली गई।
     
  राधिका की आंखों में आंसू थे वह वहांँ से उठ कर अंदर चली गई।
  
  रजिया बोली वीरमति काकी की बातों से बेचारी का दिल दुख गया। बेचारी ने खाना भी नहीं खाया।
  
  आप नन्दू के हाथ खाना अंदर भेज दीजिए। इसके कहने से बिटिया खाना खा लेगी !
  
  नन्दू बोला माँ खाना खा लो ।
  बेटा भूख नहीं है तो  नन्दू बोला "मुझे पता है तुम्हें भूख तो है लेकिन तुम खाना नहीं चाहती।"
  
  वीरमति दादी की बात का बुरी लगा है  पता है ना वह बहुत बुरी है वह तो सबको ऐसे ही कुछ भी बोलती रहती है। मेरे हाथों से खाना खा लो।
  
   मुझे भूख नहीं है राधिका ने फिर कहा!
   
  लेकिन  नन्दू ने राधिका के मुंह में एक निवाला डाल दिया और बोला "चुपचाप खा लो नहीं तो मैं रूठ जाऊंगा।"
  
  राधिका ने नाश्ता खाना शुरु कर दिया।
  
  रघुनंदन दरवाजे के पीछे से देख रहे थे,उन्होंने सोचा इसकी माँ भी नहीं है फिर भी इन दोनों के बीच अटूट प्रेम है काश ये मांँ बेटे एक दूसरे से कभी अलग ना हो।
  
   लेकिन यह कैसे हो सकता है राधिका को तो कभी ना कभी इस घर से जाना पड़ेगा और यह तो हमारे घर के सदस्य भी नहीं है पता नहीं कौन है और अगर कभी कोई इस को ढूंढते हुए या आ पहुंचा तो इसको वापस जाना ही पड़ेगा।
   
   फिर नन्दू का क्या होगा बेचारा माँ के लिए तरस रहा था। लेकिन अभी तो दोनों एक दूसरे को पाकर बहुत खुश थे बाद में देखा जाएगा रधुनंदन बाहर आ गए ।
   
   मिठ्ठी नन्दू को आवाज देते हुए" देखो मैं अपनी नानी के घर से वापस आ गई" नन्दू भी मीठी की आवाज सुनकर बाहर आकर बोला तुम आ गई मिठ्ठी!
   नन्दू बोला 
   मिठ्ठी बोली हांँ।
   
     मेरे साथ अंदर चलो तुम्हें मैं कुछ दिखाता हूं मिठ्ठी ने पूछा क्या हुआ नन्दू ऐसा क्या दिखाना चाहते हो।मिठी
     
      नन्दू के पड़ोस की छोटी सी बच्ची थी तो  नन्दू बोला बस तुम अपनी आंखें बंद  करो।और नन्दू ठीक राधिका के पास ले जाकर बोला मीठी आँखे खोलो मिठ्ठी ने जैसे ही आंखे खोली  राधिका को सामने देखकर हैरानी से बोली
     ये कौन है नन्दू?
     
     नन्दू बोला "यह मेरी मां है*।
     
    खाना भी बहुत अच्छा बनाती है तो मिठ्ठी बोली अच्छा यह तेरी मां है तो मिठ्ठी बोली सच में तुम्हारी माँ बहुत सुंदर है फिर मिठ्ठी बोली मैं अपनी मां को बता कर आती हूं।
    
      कि  नन्दू की मां वापस आ गई है भगवान के घर से और इतना कहकर मिठ्ठी वापस अपने घर चली गई तभी रघुनंदन  सिंह बोले,बेटा मिठ्ठी से क्यों कहा कि यह तुम्हारी मांँ है अपनी मांँ से बता देगी और उसकी मांँ के साथ वीरमति काकी का उठना बैठना है पता नहीं क्या क्या बोलेंगे तेरी मांँ के बारे में सच में मेरी मांँ मेरी ही रहेगी लेकिन काकी गुस्सा होकर गई है।
      अब आगे क्या होता है पढ़ने के लिए जुडे रहिएगा।
      आपकी सुंदर समीक्षाओं का इंतजार रहेगा धन्यवाद 💕

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1 Comments

Natasha

14-May-2023 07:39 AM

Nice

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